जी हां, आशा जहां जीवन में आक्सीजन की तरह है, उदासी जानलेवा और दमघोटू लेकिन लोग हैं कि उदासी ही ओढ़े रहना चाहते हैं। जरा सी कोई समस्या हुई नहीं कि खुशियों के परिंदे हवा में उड़ जाते हैं।
ऐसा क्यों होता है? क्योंकि मन को हम ने इसी तरह ट्रेन्ड किया है। लेकिन जरा सोचिए, क्या यह जीवन बार-बार मिलेगा। कितना सुंदर कितना अद्भुत है यह संसार और मनुष्य जीवन एक करिश्मा ही तो है। खुशियां हमारे चारों ओर बिखरी हैं। बस समेटने की कला आनी चाहिए। मजे की बात यह है कि इनकी कोई कॉस्ट नहीं होती। ये मुफ्त मिलती हैं। न आपको फॉरेन टूर लगाने की जरूरत है, न डायमंड के लाखों के जेवरात खरीदने और इंपोर्टेंड बड़ी शानदार गाड़ियों में बैठकर पेट्रोल फूंकने की। ‘मैन इज ए सोशल एनीमल’ यह मानव जीवन का सच है। लोगों से इंटरएक्ट करके ही व्यक्तित्व पनपता है, संवरता है और संतुलित रहता है।
लोगों से संपर्क में रहें : अकेला व्यक्ति पागलपन की कगार पर पहुंच सकता है इसलिए सामाजिक बनें। किसी संस्था से जुड़ जाएं जहां आपको विभिन्न प्रकृति के लोग मिलेंगे। आपके पास करने को जब सोशल वर्क होगा तो यह आपका सेल्फ कॉनफिडेंस बढ़ाएगा और आपको संतुष्टि प्रदान करेगा।
मनुष्य की उपस्थिति मात्र में एक ऊष्मा होती है। इसका सेंक लें। इसके लिये आप किसी भी भीड़ भरे स्थान पर जा सकते हैं। किसी मंदिर, गुरुद्वारे या कहीं भीड़ भरे पार्क में बेंच पर आसन जमा लें या किसी खाली दुकान की ओट लेकर बैठ जाएं या अगर बैठ चौबारे जग का मुजरा देखने को मन तरस रहा है तो रेलवे स्टेशन सबसे बढ़िया जगह है। दौड़ते भागते लोग हों या परिवारों के साथ चादर पर लंबी ताने आराम करते या चाय सिप करते लोग हों, उन्हें देखते आपका बढ़िया मनोरंजन हो सकता है बशर्तें आपकी संवेदनाएं जीवित बची हों। खुश रहने का यह एक बढ़िया नुस्खा है।
लिखिए और स्वस्थ रहिए : लेखन ध्यान की तरह मस्तिष्क को स्थिरता प्रदान करता है। तनाव कम करता है। जिंदगी सतत संघर्ष है। राह में दुश्वारियां ज्यादा हैं। रिश्तों में मिठास कम, कड़वाहटें ज्यादा हैं मगर रिश्ते मिठास कम कड़वाहटें ज्यादा है मगर रिश्ते जिंदगी में अहम हैं। उनके बिना चल भी नहीं सकते। यही रिश्ते अक्सर तनाव का कारण बन जाते हैं।
आप किसी से अच्छा व्यवहार करती हैं लेकिन फिर भी वो जाने किन कुंठाओं, गलतफहमियों यार् ईष्या के कारण बेवजह आपको आहत करने पर तुला रहे तो आपकी नाराजगी जायज है लेकिन आप जानते हैं कि नाराजगी प्रगट करने से बात और बिगड़ जाएगी। ऐसे में आप क्या करें? अपनी छटपटाहट, बेचैनी नफरत जैसी नकारात्मक फीलिंग्स से कैसे निजात पाएं? सिंपल आप अपनी सारी कड़वाहट, शिकायतें, मलाल किसी कागज पर लिख डालें और पढ़कर तुरंत उसे नष्ट कर दें। ये फंडा आपको तुरंत राहत देगा। आप भार मुक्त महसूस करेंगे और कह उठेंगे व्हाट ए ग्रेट रिलीफ।
अटैक द आफर : कई बार हम लोगों को शिकायत करते सुनते हैं कि लोग उनके सीधेपन का फायदा उठाते हैं। अक्सर होता यह है कि कई लोगों को दूसरों को नीचा दिखाने में बहुत आनंद आता है या बेवजह आलोचना करना भी कइयों का शगल होता है।
अब ऐसे में कुछ निरीह प्राणी सफाई देते-देते थक जाते हैं। कंप्लेन और एक्सप्लेन का यह गेम एक्सप्लेन करने वाले पर कुछ ज्यादा भारी पड़ने लग जाता है। एक उक्ति है आक्रमण सुरक्षा की सबसे बड़ी नीति है। आप इसे मॉडिफाइड वे में अपनाएं।
आप आलोचना से त्रस्त होने, सफाई देने, डिफेंस मेकेनिज्म अपनाने के बजाय आलोचक से आलोचना की विवेचना करने को कहें। कारण बताओ नोटिस दें। निश्चय ही वह बगले झांकने लगेगा। अब तक उसका हौसला इसलिए बुलंद था कि आप सुरक्षात्मक रवैया अपना रहे थे यानी कि वो आपके सीधेपन का फायदा उठा रहा था। आप भी जरा टेढ़े होकर देखें।सामने वाला लाइन पर आ जाएग। अब आप के मन में भी न कोई दंश पलेगा, न कोई टीस आपको तकलीफ देगी।
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