आज के दौर की देन है डिप्रेशन या अवसाद जो लोगों को आत्मघात या आत्महत्या की तरफ ले जाता है। बच्चे, बड़े और बूढ़े, सभी उम्र के लोग आत्महत्या कर बैठते हैं जो सामाजिक और कानूनी अपराध माना जाता है।
बच्चों पर स्कूल और अध्ययन का बहुत बोझ होता है। गरीबी, असफलता,र् ईष्या और दुख आत्महत्या या डिप्रेशन की तरफ ले जाते हैं। गरीबी अकर्मण्यता से आती है, असफलता निकम्मेपन से आती है और दुख दुष्कर्मों से आते हैं।
बूढ़े लोग रोग एवं पश्चाताप या परिवार में परित्याग भाव या सेवा भाव की कमी के कारण आत्महत्या करते हैं। बहुएं ससुराल वालों से तंग आकर आत्मदाह करती है।
जो लोग आत्महत्या करते हैं, वे या तो दूसरों को मजा चखाने के लिए आत्महत्या करते हैं या सहानुभूति या सहायता पाने की इच्छा से आत्महत्या करते हैं। जब सहायता को कोई नहीं पहुंच पाता तो उतनी देर में काम तमाम हो जाता है।
एक होस्टल में एक छात्र को बहुत से मित्र तंग करते थे। एक बार उसने रस्सी गले में डालकर पंखे से लटककर मरना चाहा तो रस्सी टूट गयी। वह बच गया। दूसरों ने बचा लिया। दूसरी बार उसने दोबारा कोशिश की, तब वह सचमुच चल बसा।
एक पुत्र अपने पिता को होरो होण्डा लेने की जिद करता था। पिता अध्यापक थे। उनकी हैसियत नहीं थी कि बेटे की इच्छा पूरी कर सकें। एक दिन पुत्र ने पिता को धमकी दी कि वे उसकी इच्छा पूरी करें अन्यथा वह मिट्टी का तेल डालकर आत्मदाह कर लेगा। पिता की असहमति के कारण वह सचमुच अपने ऊपर तेल डालकर तीली लगा बैठा कि पिता बचा लेंगे लेकिन जब तक पिता सहायता करने पहुंचते, तब तक किस्सा तमाम हो गया।
दु:खी व्यक्ति प्राय: आत्महत्या से पहले कहते जरूर हैं, तेरी दुनियां में जीने से बेहतर है कि मर जाएं, 'ऐसे जीवन से मरना अच्छा' या वे पूछते फिरते हैं कि कितनी गोली खाने से आदमी मर जाता है। वह प्राय: एकाकी जीवन जीता है और सबसे नाता तोड़ने की कोशिश करता है। कई परिवारों का इतिहास होता है कि जीन या क्रोमोसोम्ज में आत्महत्या के लक्षण होते हैं। सभी सदस्य पागल होकर आत्महत्या से जीवन समाप्त कर लेते हैं।
भावुक लोग थोड़ी सी असफलता से विचलित होकर यह पग उठा लेते हैं और दुनिया से कूच कर जाते हैं।
शराबी या नशेड़ी भी अवसाद के कारण मरना पसंद कर लेते हैं। कर्ज लेकर मरने की खबरें प्राय: छपती रहती हैं। शादी के बाद दूसरी स्त्रियों से संबंध रखने वाले लोगों के पकड़े जाने पर उनको आत्महत्या का मार्ग सरल जान पड़ता है।
आत्महत्या का आवेग आने पर यदि रोगी मित्र या दूसरे व्यक्ति द्वारा बचा लिया जाता है तो वह उसकी ऐसे ऋणी हो जाता है जैसे किसी को एक भयंकर दुर्घटना से बचा लिया गया हो।
प्राय: लोग आत्महत्या करने से पहले संकेत जरूर दे देते हैं। बातों-बातों में लेकिन हर आत्महत्या करने वाला यह जरूर आशा रखता है कि वह बचा लिया जाए। यदि कोई समय पर नहीं पहुंचता तो उसे मजबूरन मरना पड़ता है। यह एक मानसिक आवेग है। कई लोग संभल जाते हैं और बच जाते हैं।
धनी व्यक्ति ज्यादा आत्महत्या करते पाए जाते हैं। धन का आना या जाना दोनों आत्मघात के कारण बन जाते हैं। कई बार आत्महत्या करना वंशानुगत होता है।
आत्महत्या से बचने के अचूक नुस्खे :-
* अपनी भूलों को मान जाइए। इनको दूर करें। घमंड का परित्याग करें। अपनी आलोचना स्वयं करें। दूसरों को सुख देकर अपने दुख भूल जाइये।
* यदि भाग्य में खटास मिले तो उसे मिठास में बदलें। अंधेरे को कोसने की बजाए एक दीया जला लें। दूसरों की नकल मत करें। जो है वहीं बने रहे। दिखावा मत करें।
* ईश्वर की नियामतों को याद रखें। जो आपके पास नहीं है, उसका रोना मत रोएं। जैसे के साथ-तैसा मत करें। क्षमाशील बनें।
* अपने दिमाग में आशावादी, साहस, स्वास्थ्य, शांति की विचार लहरियां आने दें। होनी से लड़िये मत। जो होना है, उसके लिये तैयार रहें। चिंता मत करें।
* आज की परिधि में जियें। कल परसों या बीते समय का रोना मत रोएं। अपने निर्णय खुद लें।
* ईश्वर में विश्वास रखें। उसने आपको धरती पर किसी विशेष कार्य को सम्पन्न करने को भेजा है। अपनी निष्क्रियता से निकम्मे मत बनें।
* झूठे सपने देखना छोड़ दें। समय और मन की शक्ति को पहचानें। जो भी कार्य करें, लगन व परिश्रम से।
* अच्छी व प्रेरणादायक पुस्तकें जरूर पढ़ें। घर में अच्छी पुस्तकों की लाइब्रेरी बनाए जिनसे आपको जीने की प्रेरणा मिलेगी।
* भाग्य के भरोसे मत बैठें। भाग्य नाम की वस्तु दुनिया में कमजोर और निकम्मे लोगों के लिये है। विवेक से काम लें। जोश में होश मत खोएं।
* धन का सदुपयोग करें। शादी-विवाह या व्यर्थ लेन-देन में पैसा व्यर्थ मत गवाएं। नशा छोड़ दें। नशा नाश कर देता है।
* विपक्षी का धैर्य, साहस, हिम्मत से मुकाबला करें। धन प्राप्त करने के गलत रास्ते मत अपनाएं। किसी की सम्पति पर नजर मत रखें। लोभ, लालच व चोरी मत करें।
* स्वयं खुश रहें और दूसरों को भी रखें। लड़ने वाली बातों और गुस्से से दूर रहें। राई का पहाड़ मत बनाए परन्तु पहाड़ की राई बना डालें। अपना दुखड़ा दूसरों के सामने मत रोएं। दूसरों के दुख में खुशी मत मनाएं।
* अंधविश्वासी मत बनें। दूसरों की गलत बातें मत मानें। ठीक को ठीक और गलत को गलत मान कर चलें। न दूसरों को धोखा दें, न ही खाएं। मूर्ख, दुष्ट, धोखेबाज एवं छली कपटी लोगों से दूर रहने की चेष्टा करें।
* ईश्वर ने हमें सुंदर शरीर दिया है। इसको स्वस्थ रखें। इसे चिंता, बीमारी से बचाएं। इसे नशे एवं कुसंगत से बचाएं। इसे अपनी क्षमता से दुनिया में अद्वितीय बनाए क्योंकि हर व्यक्ति विलक्षण है।
विचारणीय...सार्थक रचना...
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