Wednesday, January 11, 2012

उम्र घाटाती उदासी

बढ़ती महंगाई, बेकारी एवं बेरोजगारी ने आज के वातावरण को उदास बना दिया है। आज देश के लगभग 70 प्रतिशत व्यक्ति उदासी की व्याधि से ग्रसित है। गुमसुम बैठे रहने से व्यक्ति की मनोदशा शनैः शनैः विकृत रूप धारण करती जाती है और वह अपराधी की ओर प्रवृत्त होता जाता है। वैज्ञानिक सर्वेक्षण से भी यह साबित हो चुका है कि उदास रहने से उम्र घटती है। आज के कलुषित वातावरण से उन्मुक्त हंसी गुम होती जा रही है।
ऐसे बहुत मिलेंगे जो उदासी को ओढ़े होंगे। अनेक लोग इस बात को समझ नहीं पाते कि उन्हें अंदर से क्या हो रहा है? बस वे अपने आप को गुमसुम व अकेला महसूस करते हैं। मानव आज बेहद व्यस्त है और ऐसे में वह अपने सामाजिक दायित्वों को निर्वाह कर पाने में भी अक्षम साबित हो रहा है। अपने विचारों के अदान-प्रदान की स्थिति को सदैव अनुकूल बनाये रखने से आप अपनी उदासी को हमेशा के लिए भगा सकते हैं।
निराश एवं उदासी व्यक्ति में मानसिक अशक्तता उत्पन्न कर देती है। युवाओं एवं बुजुर्गों में उदासी अधिक मात्रा में पाई जाती है। युवाओं को रोजगार की चिन्ता, परीक्षा में असफलता एवं प्रेम में असफलता बुरी तरह निराशा कर देते हैं जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य गिरता जाता है तथा वे बुरे कामों एवं व्यसनों में लग जाते हैं।
इसी प्रकार वृध्दों में भी उदासी की भावना अधिक होती है। अधिकांश बुजुर्ग व्यक्ति एकाकी जीवन व्यतीत करते हैं। अकेले रहने से व्यक्ति स्वस्थ चिंतन नहीं कर पाता था तथा उसे मानसिक अवसाद आ घेरते हैं। हाल ही में किए गए वैज्ञानिक सर्वेक्षणों से यह पता चला है कि उदासी, निराशा, एवं हताशा से व्यक्ति की उम्र घटती हैं।
उदास रहने से व्यक्ति का किसी भी कार्य करने में मन नहीं लगता। वह स्वयं को एकाकी महसूस करता है। हर क्षेत्र में उसे नीरसता प्रतीत होती हैं। उसका संबंध खुशी एवं प्रसन्नता से बिल्कुल टूट जाता है। जीना तक बेमानी लगता है। ऐसे में वह क्षणिक उत्तेजना अथवा आवेग के वशीभूत हो या तो अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेता हैं। अथवा स्वस्थ चिंतन के अभाव में वह दर्ुव्यसनों को अपनाकर बुरे कर्मों में लग जाता है।
यदि आपका दिल किसी भी काम में नहीं लगता, यदि आपके कुछ भी अच्छा नहीं लगता, यदि आपको भविष्य की आशा की कोई किरण नहीं दिखाई देती है तो निश्चित ही आपको उदासी ने घेर रखा है। यदि आपकी हंसी गुम हो चुकी है, हंसते, खेलते चेहरे भी अच्छे न लगें, प्यारे व प्रिय व्यक्ति से भी मिलने की इच्छा न हो तो आपको बेहद खतरनाक निराशा, हताशा एवं उदासीनता रूपी मानसिक व्याधियों ने घेर लिया है। यदि आप स्वयं में ये लक्षण पाते हैं तो सावधान हो जायें। आप निम्नलिखित उपायों को अपना कर अपने जीवन को पुनः सरल एवं खुशहाल बना सकते हैं।
नियमित व्यायाम करने से व्यक्ति अपने आपको तरोताजा एवं स्वस्थ महसूस करता है। नियमित व्यायाम तमाम व्याधियों का सरलतम उपचार हैं। डा. राबर्ट एस. ब्राउन के अनुसार ‘व्यायाम से आदमी ऐसे रसायनिक एवं मानसिक परिवर्तन महसूस करता है जिससे वह उत्तरोत्तर मानसिक स्वास्थ्य को प्राप्त करता हैं व्यायाम से रक्त में हार्मोन्स का स्तर बदल जाता है। मनोदशा को प्रभावित करने वाले मस्तिष्क के रसायनिक पदार्थ बीटा एंडर्फिन की मात्रा भी व्यायाम से बढ़ती है।
उदासीनता की मनोदशा में व्यक्ति स्वयं को असहाय, निर्बल एवं हीन भावना से ग्रस्त पाता है लेकिन व्यायाम व्यक्ति में एक विश्वास जगाता है कि वह असहाय नहीं है। व्यक्ति स्वयं को प्रत्येक कार्य के लिए सक्षम एवं चुस्त महसूस करता है। साधारण व्यायाम जैसे दौड़ना, रस्सी कूदना अथवा योगासन करने से आपके शरीर को अधिक से अधिक मात्रा में आक्सीजन मिलती है जो मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं। नियमित व्यायाम करने से थोड़े दिन बाद ही आप स्वयं को मानसिक रूप में स्वस्थ महसूस करेंगे।
समस्याओं को सुलझाएंः- कुछ लोग उदासी को दूर करने के लिए तरह-तरह की रासायनिक दवाओं का प्रयोग करते हैं लेकिन इससे उदासी हमेशा के लिए दूर नहीं चली जाती। उदासी को दूर करने के लिए आपको सतर्कता, समस्या का समाधान एवं सचेष्ट रहने की आवश्यकता होती है। स्वयं को सकारात्मक विचारों से ओत-प्रोत करें। जैसे कि यदि आपके किसी मित्र ने आपको यह कह दिया कि आप फलां कार्य नहीं कर सकते तो स्वयं की मनोदशा को उस कार्य को करने के अनुकूल बनाएं। फिर आप देखेंगे कि दुनिया की कोई ताकत आत्मविश्वास से परिपूर्ण होने पर आपको उदास नहीं बना सकती।
पौष्टिक भोजन कीजिएः- कहा जाता रहा है कि ‘जैसा खाएं अन्न, वैसा रहे मन।’ चिकित्सकों की आम राय है कि हम जैसा भोजन करते हैं, तदनुरूप ही उसका असर हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। विटामिन ‘बी’ एवं अमीनों अम्ल का मानसिक स्वास्थ्य पर विशिष्ट प्रभाव होता है। आमतौर पर देखा जाता है कि संवेदनशील लोगों के भोजन में किसी एक पोषक तत्व की कमी भी दुशिंचताओं से घेर लेती है। वस्तुतः पौष्टिक आहार हमारी मनः स्थिति को उदासी से मुक्त रखता है।
दवाओं का सेवन सावधानी से कीजिए ः- कभी-कभी कुछ दवाइयों के नियमित सेवन के पश्चात उनकी प्रतिक्रिया भी उदासी को जन्म देती है। गर्भ निरोध के लिए खाई जाने वाली दवाएं, दर्दनाशक दवाएं, एंटीबायोटिक दवाएं हाईब्लडप्रेशर को नियंत्रित करने वाली दवाओं आदि के प्रतिक्रिया स्वरूप भी उदासी का प्रभाव बढ़ सकता है।
मानसिक अवसाद बढ़ने से आप में उदासी की भावना घर कर सकती है। इस कारण आपको निराशा, हताशा चिड़चिड़ापन, अनिद्रा, किसी काम में दिल न लगना, एकाग्रता का भंग हो जाता है, आत्महत्या जैसे हीन विचारों का अनुभव हो सकता है।
यदि ये लक्षण आपको स्वयं में नजर आएं तो आप उपर्युक्त बातों पर विशेष ध्यान दें तथा शीघ्र ही अपने चिकित्सक से परामर्श लें। यकीनन इससे आपकी उदासी दूर हो जाएगी और आप स्वयं को स्वस्थ महसूस करेंगे। फिर आपको सब कुछ सामान्य एवं अच्छा लगने लगेगा।