Wednesday, September 8, 2010

शांति चाहिये तो ध्यान लगाइये

काफी मानसिक कशमकश के बाद आखिरकार आपने तय किया कि शांति और तरोताजा के लिए बेहतरीन रास्ता ध्यान है। आप सुबह उठने का फैसला करते हैं ताकि रोता हुआ बच्चा, प्यारा जीवन साथी, शोर मचाने वाला पड़ोसी आदि आपके रंग में भंग डाल न सकें। आप अपने सबसे आरामदायक कपड़े पहनते हैं। एक शांत स्थान का चयन करते हैं और सही मुद्रा में बैठकर अमन व शांति की तलाश शुरू करना चाहते हैं। लेकिन आपको अहसास होता है कि ध्यान सही मुद्रा में शांति से एक जगह बैठने से कहीं बढ़कर है। कुछ चुनौतियां आपके सामने आ जाती हैं। उनका सामना करने के तरीके यह है :-सीधा नहीं बैठ सकतासाधु संत तो बिल्कुल सीधे बैठ सकते हैं। लेकिन हम जैसे साधारण लोगों के लिए प्रैक्टिस और अधिक प्रैक्टिस की आवश्यकता होती है, मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिये। ऐसा विशेषज्ञों का मानना है। अगर आप दिलो-दिमाग लगाकर कुछ हासिल करना चाहते हैं तो सब कुछ मुमकिन है। लेकिन असल बात यह है कि शुरूआत करने वाले के लिये सीधा और स्थिर, वह भी लगातार बैठना असंभव है। व्यवहारिक तरीका यह है कि दीवार या पिलर का पहरा लिया जाये कम से कम शुरूआती दौर में। यदि ध्यान की शुरूआत कर रहे हों तो इस पर यह न सोचें कि पिलर के सहारे ऐसा करने से क्या फायदा?अनगिनत अटकाने वाली चीजेंइसमें शक नहीं कि मन भटकाने वाली अनेक चीजें मौजूद हैं। इस बात से हम भी सहमत हैं। इसलिये हमारा सुझाव है कि ध्यान सत्र सुबह के वक्त शुरू किया जाय। लेकिन अगर आपको सुबह नाश्ता तैयार करना हो, बच्चों को स्कूल और पति को दफ्तर भेजना हो तो सुबह के वक्त ध्यान लगाना कठिन है। जब तक घर काम खत्म होता है, बेहद थकान हो जाती है। अब अगर शाम को ध्यान लगायें तो पड़ोसी काफी या बतियाने के लिए बुला लेते हैं या टीवी पर कार्यक्रम अच्छा होता है।सुबह की जम्हाई…इसमें संयुक्त जम्हाइयां और ओह हो सुनाई दे रही हैं। सबेरे से हमारा मतलब सुबह 3 बजे नहीं है। अगर आप सोने वालों की बस्ती में रहते हैं तो सुबह 6 बजे ही ध्यान लगाने की शुरूआत में कोई बुराई नहीं है। जब एक बार घर में कोई उठ जाता है तो कुछ न कुछ काम लगा ही रहता है। सुबह सबेरे या देर शाम आदर्श समय है ध्यान लगाने के लिये।क्या ध्यान नींद के बराबर हैं?ध्यान से संबंधित यह सबसे आम गलतफहमी है। ध्यान अवसर है अपनी जरूरतों और महत्वाकांक्षाओं का मूल्यांकन करने के लिये। कुछ लोग ध्यान लगाने में श्लोक व मंत्री पढ़ते हैं। साथ ही आप साधारण श्वांस एक्सरसाइज कर सकते हैं ताकि आपका सिस्टम नियमित रहें।सवाल यह है कि ध्यान लगाने पर इतना जोर क्यों लगाया जा रहा है? अगर तनाव, थकान आपको घेरे रखते हैं। तो इनसे बचने का आसान और प्रभावी तरीका ध्यान लगाना है। इसके अलावा ध्यान से मन, शरीर और आत्मा शांत रहती है। यही कारण पर्याप्त है ध्यान लगाने के लिये। क्या आप इस बात से सहमत नहीं हैं?

2 comments:

  1. अच्छी जानकारी है ....


    यहाँ भी अपने विचार प्रकट करे ---
    ( कौन हो भारतीय स्त्री का आदर्श - द्रौपदी या सीता.. )
    http://oshotheone.blogspot.com

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