Wednesday, September 1, 2010
यदि बढ़ने लगे मानसिक तनाव
तकरीबन हर इंसान कोई-न-कोई जिम्मेदारी निभा रहा है, फिर चाहे वह जिम्मेदारी घर की हो या दफ्तर अथवा समाज या फिर देश की। लेकिन जो इन जिम्मेदारियों को एक बोझ समझकर ढोने लगते हैं, वे मानसिक दबाव में जिन्दगी गुजारते हैं, जिसके कारण उनके शरीर में विभिन्न रोग घर कर लेते हैं, जैसे रक्तचाप का बढ़ना, चिड़चिड़ापन, नकारात्मक नजरिया, गैस, कब्ज, अम्लपित्त इत्यादि।भटिण्डा से करुणा धारीवाल बताती हैं कि विवाह के कुछ दिनों बाद तक मेरे पति काम-धंधा करते थे लेकिन अब दो बच्चे होने के बाद वो कुछ नहीं करते बल्कि घरेलू सामान की ही बिक्री करके शराब के नशे में गलियों में घूमते हैं। सास-ससुर मुझे बोलते हैं कि तुम उसे समझाओ लेकिन वो हैं कि कुछ मानने, समझने को तैयार ही नहीं। घरेलू परेशानियों के कारण मेरा रक्तचाप अक्सर घट जाता है, यहां तक कि कभी-कभी तो मैं बेहोश भी हो जाती हूं।अधिकांश लोग दूसरे के सुख को देखकर दुखी होते हैं। कुछ ही ऐसे लोग हैं, जो वास्तव में परेशान होते हैं, जिन्हें अपनी जिम्मेदारी का बोझ दबाता है। हमारे एक पड़ोसी हैं, जो अपने या अपने परिवार के बजाय दूसरों के बारे में ज्यादा बातें जानकर परेशानियां सिर पर लेकर घूमते हैं। उन्हें असमय कई बीमारियों ने घेर लिया। बात-बात में चिड़चिड़ापन इसी बात का प्रतीक है।निराशावादी स्त्री-पुरुष थोड़ा काम या जिम्मेदारी आ जाने पर घबरा जाते हैं। उसके बारे में सोच-सोचकर ही उनके हाथ-पैर फूलने लगते हैं। डर के मारे वे आशंकित हो जाते हैं। थोड़ी-सी परेशानी होने पर ही ज्योतिषियों, फकीरों एवं झाड़-फूक वालों के चक्कर में पड़ने लगते हैं। धागे, ताबीजों एवं पत्थर के टुकड़ों को हाथ अथवा गले में पहनकर उन्हें ‘सुरक्षा कवच’ समझकर अपने कर्तव्य मार्ग से विमुख हो जाते हैं और जब असफलता मिलती है तो परेशान हो उठते हैं।कुछ लोग झूठी शान-शौकत दिखाने के चक्कर में किश्तों में घरेलू सामान खरीदने के लिए अपनी आमदनी से ज्यादा कर्ज ले लेते हैं, जो आगे चलकर उनके लिए मानसिक तनाव का एक बहुत बड़ा कारण बनता है। फिजूल की पार्टियों में ऐश-आराम के शौक पालने के कारण भी तरह-तरह की नयी-नयी मुसीबतें सामने आती रहती हैं।बहरहाल, अगर आप चाहते हैं कि आप बेवजह मानसिक तनाव के शिकार न हों तो इसके लिए जरूरी है कि मानसिक तनाव से बचने के लिए यहां प्रस्तुत किये जा रहे कुछ कारगर उपायों पर एक नजर डाल लें और यथासंभव इन पर अमल करें-* छोटी-छोटी बातें हर घर में होती ही रहती हैं, इन्हें ज्यादा तूल न पकड़ने दें। यदि ऐसी बातें आपकी समझ से दूर है तो उनका बोझ अपने सिर पर रखकर मत घूमें।* बाह्य लोगों की बातों पर ध्यान न दें। उन्हें आपके परिवार की खुशी अच्छी नहीं लगती, इसलिए हो सकता है कि ऐसे लोग आपको बहकाकर आपके घर में तनाव पैदा कराकर खुशी महसूस करते हों।* जिम्मेदारियों का खुले दिल से स्वागत करें और उन्हें प्रेमपूर्वक खुशी-खुशी बखूबी निभाएं। इससे आपकी मानसिकता में भी सहज बदलाव आएगा।* प्रत्येक कार्य की शुरुआत उत्साहपूर्वक करें। हर कार्य को धैर्य और लग्न से पूरा करें तथा आशाजनक परिणामों का इंतजार करें।* यदि शरीर में कोई बीमारी घर कर ले तो बेवजह की चिन्ता पालने के बजाय इलाज के लिए किसी अच्छे चिकित्सक से सम्पर्क करें। आज तो कैंसर जैसी लाइलाज समझी जाने वाली गंभीर बीमारी का भी इलाज संभव हो गया है। चिन्ता करने से तो शरीर में कई अन्य रोग भी घर कर लेते हैं।
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बहुत सही लिखा है|
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