Monday, October 1, 2012

ध्यान : जिन्दादिली के लिए केवल दो क्षण...

स्वास्थ्य अर्थात 'स्व' में स्थिति हम सहज, संतुलित, सुखी नहीं है इसलिए स्वस्थ भी नहीं है। शरीर का मात्र निरोग या बलवान होना स्वास्थ्य नहीं है। स्वास्थ्य का संबंध मन, मस्तिष्क, प्राण व आत्मा से भी है। सभी स्तरों पर विकार सेगमुक्त व मजबूत रहे बिना स्वस्थ नहीं रहा जा सकता।


लोभ, आसक्ति, क्रोध, वासना वगैरह से सनी दिन भर की भागदौड़, रात में भी तनाव के साथ सोना, सुबह उठने पर शरीर, मन, मस्तिष्क भारी दुखन चुभन थकावट ये स्वास्थ्य के लक्षण तो नहीं है। कसौटी है जिंदादिली। इसकी उपलब्धि के कई सोपान हैं, कई आयाम हैं। यहां प्रस्तुत हैं ध्यान की एक निहायत सरल विधि जो चाहेगी आपसे सिर्फ दो क्षण।

जब सुबह आप आंखें खोलो तो अपने ऊ र्जा से आते-आते आपकी गति कम होती जाए। रात तक आप ढीले हल्के हो जाएं। जब नींद की ओर अग्रसर हों, तो न कोई विचार न उत्तेजना, बस एक ठहराव की स्थिति। सैक्स सेलिब्रेशन हो तो वह भी तनावमुक्त, बिल्कुल नार्मल, कोरे कागज की अवस्था में समर्पित स्थिति में एक जिस्म, एक जान की अनुभूति के लिए। यही नैसर्गिक हैं, लेकिन है हमसे सर्वथा दूर।

शयन से पूर्व बिस्तर पर लेटे हुए यह भावे लाओ कि सुबह मैं प्रसन्न व तरोताजा महसूस करूंगा। संसार भावनामय है। इमोशन से हीन इंसान यंत्र है। उसकी जिंदगी में आनंद के निसर्ग के फूल नहीं खिल सकते। आप विचार शून्य, तनाव रहित होकर हृदय से केवल भाव करो। स्वयं को सुझाव दो तो भी सिर्फ भाव करो कि ऐसा होगा इस सुझाव में आदेश न हो कि ऐसा होना चाहिए। प्रतिज्ञा हठ या दृढ़ संकल्प से कठोरता आती है। आदेश अचेतन में द्वंद्व पैदा करता है। कुछ भी सहज व नैसर्गिक नहीं रह जाता। हमारा समाज आज एक विक्षिप्त मनोदश में जी रहा है। हर चीज निसर्ग के विपरित है, अप्राकृतिक है, यांत्रिक है। जरूरत मौलिकता की है, परम आंनद फलित तभी होगा।

बस सहज भाव से आदेशित नहीं, समर्पित स्वभाव से सुझाव दो कि ऐसा होगा। अगर चित्त की इस दशा से नींद में प्रवेश होगा तो सुबह प्रसन्नता व ऊर्जा से भरी मिलेगी। इसलिए कि शरीर व मन के बीच संवाद हो सकेगा। यह ध्यान मन के अवचेतन में प्रवेश कर इतना गहरा विश्राम और सुकून देता है कि जो गहरी से गहरी निंद्रा में भी संभव नहीं। नींद में तन सोता है मगर मन जागा रहकर, दिन में जो नहीं कर पाया होता वे सारे उपद्रव सपने में करता है।

ध्यान शरीर और मन के साथ आपका संवाद कराता है। यह सौहार्दपूर्ण संवाद आहिस्ता आपको स्वस्थ नींद में ले जाता है जहां न आप जागे होते हैं न सोए होते है। तंद्रा की यह अवस्था सम्मोहन में ट्रान्स कहलाती है। इस स्थिति में मस्तिष्क के भीतर अल्फा तरंगे पैदा होती हैं जो मन को सजग और शिथिल बनाकर देह व मन के बीच समस्वरता कायम करती हैं। इस क्षण में मस्तिष्क की तरंगे उतनी ही होती है। जितनी कि पृथ्वी की एक सेकेंड में लगभग सात साइकल्स मात्र मां की गोद में निश्चित लेटे हुए नवजात शिशु अथवा समग्र प्रेम न्यौछावर करने वाले प्रेमी की बाहों में पड़ी प्रेमिका जैसी अनुभूति मिलती है। या फिर जैसी आप चाहे।

अब दूसरी बात। सुबह जेसे ही जागो, तुरंत आंखें मत खोलो। रात शयन से पूर्व वाले सुझाव को दुहराओ। बस इस भाव में आओ कि मैं प्रसन्न हूं। मुझे प्रसन्न होना है ऐसा नही, बस मैं प्रसन्न हूं, तरोताजा हूं, ऊ र्जा से लबरेज हूं। इस करवट से उस करवट बदलते हुए इस भाव को चारों ओर से आवृत्त कर लेने दो। जागरण का सर्वाधिक मूल्यावान और अदभूत यह क्षण जो अनुभूति देगा वह आपकी चेतना में गहरे बैठ जायेगा।

रात सोने से पहले और सुबह आंख खोलने से पहले के ये दो क्षण 24 घंटे में सबसे महत्वपूर्ण क्षण हैं जब आप अपने अचेतन के सबसे करीब होते हैं। परदा गिरने के इर क्षणों में दिया गयाआपका सुझाव, आंतरिक भाव अचेतन आसानी से सुन लेता है। मनोविज्ञान और अब विज्ञान भी कहता है कि अचेतन जैसे ही कोई सुझाव सुनता है वह कारगर हो जाता है। इस अनुसार चेतना विस्तार होता है और स्वभाव परिवर्तन भी।

मात्र सप्ताह भी उक्त प्रयोग करें। आप पर यह काम करता है तो जारी रखें अन्यथा दूसरे आयामों सोपानों या प्रयोगों की ओररूख करें। जीवन-दर्शन विषयक किसी जिज्ञासा अथवा जिंदादिली से लबरेज जिंदगी के लिए किसी तरह के सहयोग सर्वथा निःशुल्क हेतु मो. 09897513837 पर अपना नाम, उम्र काम, स्टेशन, वैवाहिक स्तर व शिक्षा हडि्डयों का कमजोर हो जाना) से बचने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है।

आवश्यक मात्राः अमेरिका डॉक्टर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 800 मिग्रा एसएमएस करके स्व साक्षात्कार मिशन से संबंध्द हो सकते हैं। फोन से पत्र से अथवा प्रत्यक्ष मार्गदर्शन सहयोग बिना किंचित भी आर्थिक प्रतिदान के प्राप्त कर सकते हैं।

चेतना विकास व स्वास्थ्य के लिए पहले ध्यान का उपरोक्त प्रयोग करें। करके देखने में आपका कोई नुकसान नहीं होगा, आप पर काम कर गया तो आशातीत लाभ होगा। सिर्फ चार-पांच मिनट रात को और एक मिनट सुबह। जल्दी ही आप पायेंगे कि आपका नजरिया, आपका पूरा जीवन धीरे-धीरे बदलने लगा है।

बस रात्रि की यात्रा शुरू करनी है रात्रि के ध्यान से और सुबह की यात्रा शुरू करनी है सुबह के ध्यान से। उज्जवल व आनंदित वर्तमान के लिए हमारी शुभकानाएं। भविष्य के लिए इसलिए नहीं क्योंकि वह वर्तमान के गर्भ में पलता और वर्तमान से ही निकलता है।



No comments:

Post a Comment