Saturday, May 7, 2011

भावनाएं भी डालती हैं स्वास्थ्य पर प्रभाव

आशावादी इंसान दु:ख-सुख, खुशी-गम के दायरों में रहते हुए अपने आपको स्वस्थ रखते हैं। उनके विचार में भगवान ने जीवन जीने के लिए दिया है। उस जीवन का भरपूर आनन्द उठाने के लिए कुछ समस्याओं का सामना तो करना ही पड़ता है। निराशावादी इसे अलग तरीके से सोचते हैं। थोड़े से दु:ख आने पर वे महसूस करते हैं कि सारे दु:ख और गम मेरे लिए ही हैं। इस प्रकार के व्यक्ति अप्रसन्न और खिन्न रहने पर अक्सर बीमार पड़ जाते हैं। भावनाएं स्वास्थ्य पर प्रतिकूल और अनुकूल प्रभाव डालती है। अच्छी भावनाओं के होते मन प्रफुल्लित रहता है, बुरी भावनाओं के होते हुए मन उदास रहता है। अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए भावनाओं पर नियंत्रण रखें। दूसरों से नाराज होना, उन पर गुस्सा करना,र् ईष्या करना, दूसरों की गलतियां चुनते रहना, मन की बात मन में रखकर कुढ़ते रहना, दूसरों की निन्दा करना, बुराई करना और अपनी आलोचना सुनकर तिलमिलाना, ये सब बातें हमारे स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है। शुरू-शुरू में अपने अंदर ऐसे भाव पैदा करने मुश्किल हैं परन्तु धीरे-धीरे भावनाओं पर काबू पाया जा सकता है। कभी-कभी किसी बात पर क्रोध आए तो घर से बाहर टहलने चले जाना चाहिए या फिर अपने को किसी काम में व्यस्त कर लें। थोड़े समय बाद क्रोध दूर हो जायेगा। कोई आपकी गलती निकालता है या निंदा करता है तो उस बात को गंभीरता से न लेते हुए अनदेखा कर दें। कभी परिवार में या मित्रों से किसी बात पर मन-मुटाव या गलतफहमी हो जाये तो खुलकर बात करने से मन हल्का हो जाता है।

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