Wednesday, January 2, 2013

अशांत चित्त को सुख कहां



कई लोगों को शांति से रहना जरा भी नहीं सुहाता है। उन्हें हमेशा परेशानियां ओढ़े रहने की ही आदत पड़ जाती है। न वे स्वयं खुश रहना जानते हैं न अपने आसपास किसी को खुश रहने देते हैं।
अपनी बेचैनी के आलम में वे कई रोग पाल लेते हैं, उनमें एक गंभीर और बहुत आम रोग है उच्च रक्तचाप या हाई ब्लडप्रेशर। पेट में अल्सर का कारण भी कई बार चिंता ही होती है इसके अलावा कई प्रकार के मानसिक रोग तो हैं ही।
मन की अशांति ही चिंताओं को जन्म देती है। शांत, स्थिर मन चिंताओं से निपटना जानता है, जबकि अस्थिर, अशांत मन उसे केवल और बढ़ाता है। कहते हैं चिंता, चिता के समान होती है। स्वयं इसका शिकार भी इससे छुटकारा जरूर चाहता है, लेकिन स्वभावगत मजबूरी के कारण ही वह ऐसा नहीं कर पाता है।
एक उन्मुक्त ठहाका फिजूल की निराधार चिंताओं से निपटने का अच्छा तरीका है, इससे क्रोध व तनाव दूर होता है, अधिक स्फूर्ति और प्रफुल्लता का संचार होता है।
यह एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है कि जीवन में सफलता पाने के लिये फंडा दिया होना आवश्यक है। क्रोध, चिंता, तनाव तथा चिड़चिड़ापन ऊर्जा का नाश करते है और काबिलियत कम करते हैं।
युरोपियन फिलासफर स्वेट मार्डेन का कथन है कि आप अपनी इच्छाशक्ति (विलपावर) को इतना मजबूत बनाये कि वह सारी चिंताओं को जादूगर की तरह गायब कर दे।
कई लोगों को आदत होती है कि वे कार्यस्थल की तमाम परेशानी वहीं पर न छोड़कर घर साथ ले आते हैं। इससे खुद दो दु:ख पाते ही हैं अपने परिवार को भी दु:ख के अंधेरों में डुबो देते हैं।
हर समस्या का कोई न कोई हल जरूर होता है। आशावादी सकारात्मक सोच लिये समस्याओं से जूझकर उसके हल तक पहुंच जाते हैं, लेकिन अशांत मन लिये बौखलाहट में (नकारात्मक सोच ऐसे लोगों पर जल्दी हावी हो जाती है) व्यक्ति उस हल को अनदेखा, किये रहता है या यूं कहें, उसे ढूंढ नहीं पाता है।
जीवन में अगर दु:ख परेशानियां हैं तो क्या सुख, आनंद, हंसी के फव्वारे, मीठी मुस्कानें नहीं है? एक शिशु की भोले दंतविहीन चेहरे की प्यारी मासूम सी मुस्कराहट पर जरा ध्यान दें।
कोयल की मीठी तान का जादू मस्तिष्क में गुंजित होने दें। कलकल बहती चांदी-सी नदी पर सूर्य रश्मियों की अठखेलियां देखें वी हैव नो टाइम टू स्टैंड एंड स्टेयर को झुठलाते हुए प्रकृति से तादात्म्य स्थापित करके तो देखें।
इससे मन को वह सुकून और निश्चल आनंद मिलेगा, जिसमें आपका तन-मन रसप्लावित हो उठेगा। आनंद की लहरें आपके मन को तितली के परों की मानिंद हल्का कर देंगी। आपको लगेगा वाकई जीवन कितना सुंदर और जीने लायक है।
सोचिए अगर जीवन में समस्याएं न हों तो जीवन से एक ी धारा में बहता जाए तो वह जीवन नीरस नहीं हो उठेगा? जीवन में कठिनाइयां तो हमारी शक्तियों को जाग्रत करती हैं, ऊर्जा पैदा करती हैं वरना तो आदमी बेहद आलसी हो जाएगा।
आज तो जी लें कर की कल देखेंगे, जैसी सकारात्मक सोच ही चिंता दूर रखती है। कई लोगों की आदत में शामिल होता है कि हर समय रोते रहना और चिंता करना। बबलू पैदा नहीं हुआ कि उसके भविष्य की चिंता कर करके सुखना बनिस्बत उसके आगमन का जश्न मनाने के, कि हाथ बुढ़ापे में हमारा क्या होगा। हमारे पास पैसा होगा या नहीं। कहीं वर्ल्ड वॉर छिड़ गया तो क्या होगा। जहां जीवन में अगले पल का भरोसा नहीं, वहां यह सोच-सोचकर वर्तमान को भी खो देना, उसे भरपूर न जीना कहां की समझदारी है। यहां खुशमिजाज, केयरफ्री रहने का मतलब यह हर्गिज नहीं कि व्यक्ति गैर जिम्मेदार हो जाए। बस जीने का सलीका आना चाहिये।

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