आज हम प्रतियोगिता की गलाकाट कार्यपध्दति में पड़े
है जिसके कारण सारे समाज में तनाव है। राग द्वेष और घृणा से वातावरण भरा पड़ा है।
हिंसा का साम्राज्य तैयार हो रहा है। आक्रमण, अपहरण, आत्महत्या, हत्या, लूटपाट, चोरी जैसे अपराध बढ़
रहे हैं। इन अपराधों में युवाओं का प्रतिशत ही अधिक है। पढ़े-लिखे सम्पन्न घरानों
के युवा भी इन अपराधों में पाए जा रहे हैं। सहन शक्ति घट रही है, फलस्वरूप मानसिक बीमारियां बढ़ रही है। इलाज के लिये दवाएं है पर वे भी
कारगर सिध्द नहीं हो रही। मानसिक रोगों के न तो पर्याप्त अस्पताल है और न डाक्टर
तो इलाज कैसे हो।
आश्चर्य का विषय है कि तनाव पढ़े-लिखे बुध्दिजीवियों
को ही अपना शिकार बना रहा है। तनाव का शिकार युवावर्ग ही अधिक हो रहा है और इसलिये
आत्महत्या करने वालों में सबसे अधिक प्रतिशत युवा वर्ग का हो गया है। इसका मुख्य
कारण यह है कि युवा वर्ग के लिये तनाव की अभिव्यक्ति के साधन समाप्त हो गये हैं।
कलम कागज का उपयोग तो अब बहुत कम हो गया है। गुस्सा, परेशानी, कुण्ठा कहां अभिव्यक्त हो? कैसे
अभिव्यक्त हो, यह प्रश्न है।
तनाव घटाने के लिये ध्यान, आसन, प्राणायाम आज प्रमुख रूप से आजमाएं जाते हैं
किन्तु वे सब साधन जो एकाग्रता को ध्यान में बदल देते हैं वे भी तनाव घटाते ही
नहीं, समाप्त भी कर देते हैं। ध्यानपूर्वक जीवन जीना
तनाव घटाने का अचूक साधन है। अपनी कलम, कागज
या डायरी का उपयोग करके भी हम तनाव मुक्त हो सकते हैं।
लिखिए तनाव मिटाइए- क्या लिखने से भी तनाव घटता है? हां, हमारा यही अनुभव है और हम चाहेेंगे कि तनाव
के क्षणों में आप भी इसका उपयोग करें। अब प्रश्न यह है कि आखिर हम क्या लिखे कि
तनाव खत्म हो। लिखने की सामग्री क्या हो?
अ) डायरी लिखिए-
तनाव घटाने के लिये डायरी लिखना सबसे अच्छा है। आप जो कुछ अनुभव कर रहे हैं, उसका तथ्यात्मक वर्णन नियमित करने से हमारी आंतरिक भावना कागज पर उतर आती
है। हमारा गुस्सा, रागद्वेष अभिव्यक्ति
पा जाता है पर ध्यान रखिये डायरी में घृणा व्यक्त करते समय सावधानी रखें, वह आपको मनोवैज्ञानिक रूप से नुकसान पहुंचा सकती है। आपकी डायरी सदा
गोपनीय नहीं रहेगी। आपके विचार भी बदल सकते हैं। दोस्त या दुश्मन सदा नहीं रहते
लेकिन डायरी एक तरह का साक्ष हो जाती है अत: इसे सावधानी से भावना व्यक्त करने का
साधन ही माने। घृणा से घृणा फैलती है, तनाव
घटता नहीं है अत: कलम का उपयोग भी सावधानी से कीजिए।
आजकल डायरी लिखना सामान्य बात नहीं है। डायरी लिखने
की बात से ही तनाव पैदा हो सकता है अत: अन्य विकल्पों पर ध्यान देते हैं।
ब) लिखिए कुछ भी - अगर आप डायरी लिखना नहीं चाहते
तो आपके मन में जो भी उमड़ घुमड़ रहा है, उसे
कागज पर उतार दीजिए। पूरी ताकत से अपने विचार व्यक्त कीजिए। पूरी मनोभावना कागज पर
आ जाना चाहिये। यह उतना ही कारगत नुस्खा है जितना अपने किसी शुभ चिंतक से अपनी बात
कह कर हल्का हो जाना। आप कर के देखिए। आपका शुभ चिन्तक तो धोखा भी दे सकता है। वह
आगे पीछे आपकी बात को नमक मिर्च लगाकर सुना सकता है पर यह कागज ऐसा नहीं करेगा।
जैसे ही आप हल्का अनुभव करें, इस कागज को फाड़ फेकिए, जला दीजिए। आपका तनाव घट चुका होगा। लेकिन यह भी तनाव मुक्ति का एक कारण
है। यदि आप नियमित रूप से लिखने पढ़ने की आदत डाल पाए तो सोने में सुगंध है। तब आप
तनाव व चिन्ता मुक्ति से संबंधित साहित्य को पढ़ जाइए। उसमें दिए गए नुक्सों को भी
अपना कर देख सकेंगे। तब आप स्वयं तो तनाव मुक्त और प्रसन्न मुख होंगे ही अन्य
लोगों को भी मार्गदर्शन दे सकेंगे। लेखक का यह व्यक्तिगत अनुभव है। लेखक ने अपनी
डायरी के एक पन्ने पर जो लिखा है उसका आप भी आनंद लीजिए।
कलम
कलम चल पड़ी
बुढ़ापा ध्यान बन गया
बनने लगे रंग बिरंगे चित्र
कल्पना लेने लगी आकार
जीवन बन गया साकार
मस्तक की रेखाएं खिल गई
बुढ़ापा कहां चला गया
ढूढ़ता रह गया हूं मैं बुढ़ापा बोला,
ध्यान के साथ मैं रह नहीं सकता
जगह नहीं रहती मेरे लिये वहां
कहां ठहरू मैं/छिपा पड़ा हूं
अभी मरा नहीं हूं मैं
तुम कलम रख दो
मैं आ जाऊंगा पास
कलम में है जवानी की शक्ति
तूलिका है वह/रंग भर देती
मैं नहीं रह सकता कलम के साथ
कलम उठाओ लगाओ आंख पर चश्मा
जवानी दौड़ कर पास आएगी
तनाव को भगाती है कलम
उत्साह उमंग जगाती है कलम
भविष्य के सपने सजाती है कलम
अतीत की याद दिलाती है कलम
वर्तमान में रंग भरती है कलम
कलम से झरते है अनुभव
कलम से निकलते हैं आशीर्वाद
कलम से प्रेम बहता है
कलम उड़ाती है बचपन की तितलिया
कलम भोलेपन का स्वाद रचती है
बुढ़ापे की दवा है कलम
इस प्रकार लिखना पढ़ना भी ध्यान केंद्र बन जाता है।
लिखने पढ़ने की आदत अब खत्म सी हो रही है, इसलिये
तनाव का लावा अभिव्यक्ति से माध्यम से बहकर बाहर नहीं आ रहा है। आदमी अंदर ही अंदर
घुटता है। समाज नाम की चीज है नहीं। दोस्त यारी मौज मस्ती ही बन कर रह गयी है।
परिवार में किसी के पास किसी का दुख दर्द सुनने, समझने
का समय नहीं रह गया है। हम सबका अनुभव है कि दुख दर्द कहने सुनने मात्र से मन में
हल्कापन आ जाता है लेकिन हम अपने मन की आंतरिक चर्चा हर किसी से, हर कहीं तो कह सुन नहीं सकते। उसके लिये अत्यन्त विश्वसनीय व्यक्ति की
दरकार है। अब जब आपसी विश्वास ही न मिले तो एकांत में बैठिए, कागज-कलम लीजिए और अपने मन के मालिक बन जाइए और जो मर्जी में आए लिखिए, घसिटिए, चित्रण कीजिए, फाड़ डालिये, लिखा हुआ जला डालिए और
तनाव से मुक्त हो जाइए। घबराने की बात नहीं है। हर व्यक्ति के जीवन में ऐसे कोमल
क्षण आते हैं जब चारों तरफ गहन अंधकार दिखाई देता है। समाधान की रेखा दिखाई नहीं
देती। लेकिन धैर्य से कलम कागज आपको समस्या का समाधान भी दिखा देगा। प्रयोग कर देख
लीजिए।